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माता का मुझको कृष्णा कहना
भाता भ्राता का जलन सहना
उन कोमल कर का स्निग्ध नहान”
पिता संग बैठ वह गीता ज्ञान
उन क्षण क्षण मैं जीवन हर्षित
अब करता मुझ को आकर्षित
वह लोरी कहां वह गीत कहां
वह रात्रि कहां वह प्रीत कहां

शायद खोजू उसे मन मन
कहां गया खोया बचपन

जब-जब देख मेरा कटु क्रंदन
थपथपा दादी का कथा गदन
बनता था जिसमें मैं नायक
उत्साह भरता फिर द्युति चमक
मैं उछल-उछल फिर फुदक फुदक
वह गोद का सुख मानो कंदक
मुख असीम आभा होती नत
दुख से बन अजनबी सुख में रत

शायद खोजू उसे क्षण क्षण
कहां गया खोया बचपन

उदित बाल सूरज समतुल्य
मनभावन अनमोल अतुल्य
नव जन्मित चंचल खग जैसा
इतने बरस कहां कब कैसा
आत्मस्थ तू विदित मुझे है
लुक्का छिपी क्या प्रिय तुझे है
कभी ना कभी तो होगा प्रकट
अब देख तू यह मेरा अचल हठ

जब देखूं बच्चों को मस्त मगन
उसमें ही जी लेता अपना बचपन
हां शायद यही है मेरा खोया बचपन
हां यही है मेरा खोया बचपन

-साहिल

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यह कहानी है एक सितारे की

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ये मेरी कहानी भी नहीं है
ये मेरी जु़बानी भी नहीं है
जिस क़लम से मैं लिख रहा हूं
वह हर एक मंज़र बयां कर दें
ये इतनी सयानी भी नहीं है

वक़्त के किसी मोड़ पर
अचानक से टकरा गए
ये घटनाओं से भरा घड़ा है
मेरे मन में जैसे किसी कच्ची याद सा पड़ा है
पर इस के ज़ख्म इस धरा पर इतने गहरे हैं
कि हर बार ये मेरी स्याह के सामने छपने को खड़ा है

चमकने को जो सितारा तैयार बैठा था
एक पल में जैसे आंखों से ओझल हुआ हो
चुभ रहा था कुछ लोगों के दिल में
इसलिए लगता है जैसे
उसकी जिंदगी, जिंदगी ना हो जुआ हो

वो उन राहों में जिस बेबाकी से चल रहा था
धीरे-धीरे औरों की आंखों में वो
दुश्मन सा पल रहा था
पर जब तक उसे अंदाजा अपने आसपास के कांटो का हुआ आग फैल चुकी थी
और उसका हर सपना धुआँ-धुआँ हुआ

ये मेरी कहानी भी नहीं है
ये मेरी जु़बानी भी नहीं है
और ये जो इतने देर से मैं सुना रहा हूं
वो इतनी पुरानी नहीं है
खंगाल के देख अपने मस्तिष्क को मनुष्य
हजारों  कहानियां मिलेंगी तुझे
जो हादसों में तब्दील हो कर रह गई

द्वारा
देशमुख पटेल
राजनीति विज्ञान (प्रथम वर्ष)

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The Chalice

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What is a blade without a chalice,  until the sands of time flow through.

As the red wine of God’s mirth pours into the chalice,

It’s reflection on the surface makes it heavenly lit.

Whilst it should be mounted high, it is looked down with malice.

 

Breaks easily as made of glass, when thrown on a hard floor

None seems to fathom its fragility.

Only seen as an instrument to take in wine, and break the bore

Penniless objects with no special ability.

 

People forget what a chalice did to Julius,

And how useful it was to The Son of God.

Shattering of glass is often considered a bad sign,

It’s not always good to infuriate an angry Lord.

 

Time is a cycle, sometimes one is up and the other down,

Do not plead for mercy when the glass hurts you.

People themselves have had the chalice in contempt and frown,

Only until the chalice overturns and its wine drowns a few

_ Soban Bakhtiyar (2nd year, Maths)